शौचालय न होने से यूपी के इस जिले में नहीं हो रही लड़कों की शादियां..
खुले में शौच से मुक्ति के लिए केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों रुपए शौचालय बनाने के लिए दे रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के हजारों गांव आज भी खुले में शौच से मुक्ति की राह देख रहे हैं. आलम यह है कि अब इन गांवों में लोग अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते. जिसकी वजह से कई लड़के कुंवारे ही हैं.
इस जिले के इन गांवों का यह आलम तब है जब केंद्र में महिला व बाल विकास मंत्री कृष्णा राज यहां से सांसद हैं और सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना यहां से विधायक हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार ने शौचालय के लिए पैसा नहीं दिया. कर्मचारियों और अधिकारीयों की लापरवाही की वजह से 2187 गांव शौचालय से वंचित हैं. हालांकि दिसम्बर 2017 में ही अधिकारीयों ने गांवों को ओडीएफ मुक्त करने का दावा किया था. बावजूद इसके जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.
ट्रेन की पटरियों के समीप बसे इन गांवों में कई लोग हादसे का शिकार भी बन चुके हैं. रात के अंधेरे में पटरियों के पास शौच के लिए जाने वाले कई लोग ट्रेन की चपेट में आकर अपाहिज भी हो चुके हैं.
शाहजहांपुर के शहर से मात्र पांच किलोमीटर दूर बसे अटसलिया गांव में वर्षों से महिलाएं, लड़कियां और पुरुष खुले मे शौच जाने को मजबूर हैं. गांव में शौचालय न होने की वजह से यहां के लड़कों की शादियां तक नहीं हो पा रही है. कोई भी अपनी बेटी का रिश्ता इस गांव के लड़कों से करने को तैयार नहीं है.
इतना ही नहीं इन गांवों में आए दिन रेप की घटनाएं हो रही हैं. जिसकी वजह से खुले में शौच जाने से लड़कियां और महिलाएं अपने आपको भयभीत महसूस करती हैं.
जिले के मुख्य विकास अधिकारी संजीव सिंह कहते हैं “ स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार की यह प्राथमिकता है कि जो खुले में शौच जाते हैं उन गांवों को खुले में शौच से मुक्त कर सफाई का संदेश देना है. जनपद में करीब दो लाख 99 हजार 519 परिवार के पास टॉयलेट नहीं थे. जिनमें से हमने एक लाख शौचालय के लिए फंड रिलीज़ कर दिया है. करीब एक लाख 99 हजार शौचालय बनवाया जाना बाकी है. 2147 गांव अभी ऐसे हैं जिन्हें ओडीएफ किया जाना बाकी है.”
अगर आपको आर्टिकल पसंद आया हो और आपका कोई सवाल हो तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।इसी तरह के आर्टिकल पढ़ने के लिए ऊपर फॉलो का बटन दबाएँ।इस आर्टिकल को शेयर करें ताकि ज़्यादा से ज्यादा लोग इसके बारे में जान सकें।अगर मुझे समय मिला तो मैं आपके कॉमेंट्स का रिप्लाई ज़रूर करूँगा।आर्टिकल पड़ने का धन्यवाद।
इस जिले के इन गांवों का यह आलम तब है जब केंद्र में महिला व बाल विकास मंत्री कृष्णा राज यहां से सांसद हैं और सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना यहां से विधायक हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार ने शौचालय के लिए पैसा नहीं दिया. कर्मचारियों और अधिकारीयों की लापरवाही की वजह से 2187 गांव शौचालय से वंचित हैं. हालांकि दिसम्बर 2017 में ही अधिकारीयों ने गांवों को ओडीएफ मुक्त करने का दावा किया था. बावजूद इसके जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.
ट्रेन की पटरियों के समीप बसे इन गांवों में कई लोग हादसे का शिकार भी बन चुके हैं. रात के अंधेरे में पटरियों के पास शौच के लिए जाने वाले कई लोग ट्रेन की चपेट में आकर अपाहिज भी हो चुके हैं.
शाहजहांपुर के शहर से मात्र पांच किलोमीटर दूर बसे अटसलिया गांव में वर्षों से महिलाएं, लड़कियां और पुरुष खुले मे शौच जाने को मजबूर हैं. गांव में शौचालय न होने की वजह से यहां के लड़कों की शादियां तक नहीं हो पा रही है. कोई भी अपनी बेटी का रिश्ता इस गांव के लड़कों से करने को तैयार नहीं है.
इतना ही नहीं इन गांवों में आए दिन रेप की घटनाएं हो रही हैं. जिसकी वजह से खुले में शौच जाने से लड़कियां और महिलाएं अपने आपको भयभीत महसूस करती हैं.
जिले के मुख्य विकास अधिकारी संजीव सिंह कहते हैं “ स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार की यह प्राथमिकता है कि जो खुले में शौच जाते हैं उन गांवों को खुले में शौच से मुक्त कर सफाई का संदेश देना है. जनपद में करीब दो लाख 99 हजार 519 परिवार के पास टॉयलेट नहीं थे. जिनमें से हमने एक लाख शौचालय के लिए फंड रिलीज़ कर दिया है. करीब एक लाख 99 हजार शौचालय बनवाया जाना बाकी है. 2147 गांव अभी ऐसे हैं जिन्हें ओडीएफ किया जाना बाकी है.”
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